२३ नवम्बर २०१४
सोंचती हूँ .....
ये कैसा प्यार है?
मेरा दम घुटता है!
रहने दो मुझे आज़ाद, उड़ने दो मुझे पंछी की तरह दूर दूर तक!
खुले गगन में गोते लगाती मैं और मेरा संगी ये अनन्त ......
सोंचती हूँ .....
ये कैसा प्यार है?
मेरा दम घुटता है!
रहने दो मुझे आज़ाद, उड़ने दो मुझे पंछी की तरह दूर दूर तक!
खुले गगन में गोते लगाती मैं और मेरा संगी ये अनन्त ......
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