Wednesday, December 30, 2009
हर इन्सान को कहने को बहुत कुछ रहता है . मुझे भी है . कभी कभी थोड़ा बहुत कहूँगी अपने ब्लॉग में .
जब बहुत कुछ कहने को होता है तब बड़ी परेशानी होती है .कहाँ से शुरू किया जाये ? ये अहम् सवाल सामने आता है . मेरे सामने भी ये सवाल मुँह बाए खड़ा है .
ज़िन्दगी लम्बी निकल चुकी है.पर जब सोचने बैठो तो क्यों कल की घटना ज्यादा याद आती है ? आज भूला लगता है . क्यों कभी कभी भूत और वर्त्तमान अपने स्थान बदल लेते हैं ?
ज़िन्दगी ऐसी ही अनेको पहेलियों से भरी हुई है . हम जैसे इन पहेलियों के भूल भुल्लैये में ही भटकते रह जाते है. खुशकिस्मत होते हैं वो, जो इस भूल भुल्लैये में भी सरल रास्ते खोज लेते हैं .
सीख लेंगे हम भी . सीखने की तो कोई उम्र नहीं होती . मैंने पहले लिखा था "ज़िन्दगी लम्बी निकल चुकी है "
तो क्या हुआ , बाकी भी तो है . फिर मिलेंगे यहीं ......रूपा
2 comments:
Mumma,
I like your line about ..."क्यों कल की घटना ज्यादा याद आती है ? आज भूला लगता है "... It is so true, .. But some times remembering the past brings happiness, and gives strength too :-)
Really liked this post.
Love
Ritu
Believe me, the past gives you strength!Especially when it has tested you!
One feels,"If I could endure that test well, I can endure any hurdle come what may!"...
What is life without hurdles anyway!
Post a Comment